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Hindi diwas Par Kavita
जन की भाषा है हिंदी मन की भाषा है हिंदी परन्तु आज हिंदी लुप्त होती जा रही है लोग ये सोचने लगे है की आज हिंदी का दुनिया में कोई मूल्य नहीं है. लेकिन हम ऐसा बिकुल नहीं समझते है आज इस आर्टिकल पे हम कुछ Hindi diwas Par Kavita आपलोगो के लिए ले कर आये है 

हमने उम्मीद है की आपको लोगो को हमारे ब्लॉग पे प्रकाशित की गयी कविताए पसंद आएगी और आपके पास भी हिंदी की कविताये है तो ,हमें ज़रूर भेजे हम आपकी कविताओं को हमारे ब्लॉग पे प्रकाशित करेंगे 


Best Hindi Divas Kavita


पड़ने लगती है पियूष की शिर पर धारा।
हो जाता है रुचिर ज्योति मय लोचन-तारा।
बर बिनोद की लहर हृदय में है लहराती।
कुछ बिजली सी दौड़ सब नसों में है जाती।
आते ही मुख पर अति सुखद जिसका पावन नामही।
इक्कीस कोटि-जन-पूजिता हिन्दी भाषा है वही।

करो अपनी भाषा पर प्यार ।
जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार ।।
जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार,
और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार ।
बढ़ायो बस उसका विस्तार ।
करो अपनी भाषा पर प्यार ।।
भाषा विना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान,
सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान ।
असंख्यक हैं इसके उपकार ।
करो अपनी भाषा पर प्यार ।।
यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,
और तुमहारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद ।
बनाओ इसे गले का हार ।
करो अपनी भाषा पर प्यार ।।

-मैथिली शरण गुप्त

एक डोर में सबको जो है बाँधती
वह हिंदी है,
हर भाषा को सगी बहन जो मानती
वह हिंदी है।
भरी-पूरी हों सभी बोलियां
यही कामना हिंदी है,
गहरी हो पहचान आपसी
यही साधना हिंदी है,
सौत विदेशी रहे न रानी
यही भावना हिंदी है।
तत्सम, तद्भव, देश विदेशी
सब रंगों को अपनाती,
जैसे आप बोलना चाहें
वही मधुर, वह मन भाती,
नए अर्थ के रूप धारती
हर प्रदेश की माटी पर,
खाली-पीली-बोम-मारती
बंबई की चौपाटी पर,
चौरंगी से चली नवेली
प्रीति-पियासी हिंदी है,
बहुत-बहुत तुम हमको लगती
  भालो-बाशी , हिंदी है।
उच्च वर्ग की प्रिय अंग्रेज़ी
हिंदी जन की बोली है,
वर्ग-भेद को ख़त्म करेगी
हिंदी वह हमजोली है,
सागर में मिलती धाराएँ
हिंदी सबकी संगम है,
शब्द, नाद, लिपि से भी आगे
एक भरोसा अनुपम है,
गंगा कावेरी की धारा
साथ मिलाती हिंदी है,
पूरब-पश्चिम/ कमल-पंखुरी
सेतु बनाती हिंदी है।

-गिरिजा कुमार माथुर


हिंदी हमारी आन है हिंदी हमारी शान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
  हिंदी हमारी वर्तनी हिंदी हमारा व्याकरण 
हिंदी हमारी संस्कृति हिंदी हमारा आचरण 
हिंदी हमारी वेदना हिंदी हमारा गान है। 
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी हमारी आत्मा है भावना का साज़ है 
हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज़ है 
हिंदी हमारी अस्मिता हिंदी हमारा मान है। 
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
  हिंदी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है 
हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है 
हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है। 
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
  जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे 
तब तक वतन की राष्ट्रभाषा ये अमर हिंदी रहे 
हिंदी हमारा शब्द, स्वर व्यंजन अमिट पहचान है। 
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

-सुनील जोगी
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